वास्तुशास्त्र: अंधविश्वास या आधुनिक युग की जीवनशैली का हिस्सा !!!

वास्तु के कुछ ऐसे सूत्र है जो लगभग सभी निवासों में मान्य होते है. वास्तु शास्त्र एक सार्वभौमिक विज्ञान है, यह कोई अन्धविश्वास नहीं है. कई मान्य विश्वविद्यालय इसके कोर्स करवा रहे है. आजकल देश के साथ साथ वास्तु परामर्शदाता विदेशो में भी अपनी सेवा दे रहे है.

१. अगर आपके घर की दक्षिण दिशा में कोई दोष जैसे उसका विस्तार होना या कट जाना जैसा है, वह शौचालय होना, भूमिगत जलस्रोत्र होना या वहां की छत पर खुला जाल बना होना ऐसा कुछ है और उसके साथ साथ दक्षिण पश्चिम दिशा में ढाल है या सेप्टिक टैंक है तो ऐसे निवास में क़ानूनी प्रकरण, बीमारी एवं धन नाश निरंतर बना रहता है.

२. जिस घर में दक्षिण दिशा ऊँची, उत्तर या पूर्व का ढाल, उत्तर पूर्व में बोरवेल, कुआ, या भूमिगत पानी का टैंक ऐसा हो और द्वार भी किसी भी दिशा के चौथे चरण में हो ऐसे लोगो के जीवन में धन की प्रचुरता, अच्छा स्वस्थ वह समाज में नाम सम्मान रहता है.

३. उत्तर वायव्य का दरवाज़ा मन की चंचलता देता है, शत्रु भी बढ़ाता है, लेकिन अच्छे हीलर को जन्म देता है. यहाँ का दोष मानसिक विकार देता है और इसी दिशा का अच्छा होना मानसिक डॉक्टर भी बना सकता है.

४. जिन घरो में उत्तर दिशा दोष मुक्त हो जैसे की वह सीडी न हो, रसोई न हो, शौचलाया न हो एवं भूमिगत पानी हो ऐसे घरो में लोग कुशल व्यापारी, अच्छे अकाउंटेंट एवं गणित में निपुण होते है. अगर आपकी संतान के गणित में कम अंक आये तो अपने निवास की उत्तर दिशा देखे.

५. उच्च श्रेणी के व्यापारी, राजनेता, समाज में दबंग प्रभाव एवं प्रचुरता में पैसा देना दक्षिण पश्चिम से उत्तर पूर्व की और ढलान का कमाल है. प्लाट के उत्तर पूर्व में स्विमिंग पूल एवं दक्षिण पश्चिम में निवास का निर्माण होने से ऐसे योग बनते है. वास्तु शास्त्र हर तरह के परिणाम लाने में सक्षम है. आप को वास्तुशास्त्र का उपयोग लेकिन अपने मनोबल एवं मनोस्थिति को देख कर ही करना चाहिए. जीवन के तीसरे या चौथे पड़ाव में ज्यादा मजबूत वास्तु करवाना कई बार नुक्सान दे देता है यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है. अगर आप सामान्य जीवन जीना चाहते है तो ज्यादा बारीक़ वास्तु में न जाये ऐसा मेरा निवेदन है. शेष हरी इच्छा !

Importance of Muhurat Auspicious Timing for Success

मुहूर्त का महत्व: शुभ समय में किए गए कार्य ही देते हैं श्रेष्ठ फल

मुहूर्त – किसी भी कार्य को करने की शुभ घडी. हर कार्य को करने का एक ऐसा समय होता है जिसमे अच्छे परिणाम ही प्राप्त होते है. अगर कोई शुभ कार्य भी अशुभ मुहूर्त में किया जाये तो पीड़ा प्राप्त हो सकती है या कार्य फलित नहीं होता. वास्तु में भी घर बनाने के समय को लेकर, उनके निश्चित मास और तिथि का वर्णन है. निवास वास्तु अनुरूप हो लेकिन अशुभ मुहूर्त में निर्माण या गृह प्रवेश करना उसकी शुभता में कमी लाता है.

१. पुष्य नक्षत्र, रोहिणी, श्रावण, एवं मृगशिरा एवं वार गुरुवार हो तो आप ग्रहारम्भ कर सकते है.

२. राहु देव के नक्षत्र शतभिषा, आद्रा हो और वार शुक्रवार हो तो उस दिन शिलान्यास करना शुभ रहता है, ऐसा करने से धन धन्य की प्राप्ति होती है.

३. पूर्वाफ़ाल्फ़ुनि, चित्र एवं हस्त नक्षत्र हो और उस दिन वार बुधवार हो तो आप घर की नीव रख सकते है वह सम्पन्नता दायक होती है.

४. जब भी गृह आरम्भ करे तब सूर्य देव, चंद्र देव एवं गुरु देव या तो अपनी उच्च की राशि में हो या बलवान हो. ऐसा होने से इन ग्रहो का बल मिलता है एवं आपके कार्य आसानी से सिद्ध हो जाते है.

५. गृह आरम्भ के समय की कुंडली में लग्न या तो स्थिर हो या द्विस्वभाव होना चाहिए. लग्न पे जितना अधिक शुभ ग्रहो की दृष्टि हो उतना वह घर शुभ फलदायी हो जाता है.

६. अनुराधा, मृगशिरा, रोहिणी, धनिष्ठा, एवं रेवती नक्षत्र में निवास का विधि विधान से किया गया वास्तु पूजन माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करता है. ७. पूर्वभाद्रपत, उत्तराभाद्रपत, एवं स्वाति नक्षत्र में यदि शनिवार हो तो उस दिन गृह प्रारम्भ करने से उस स्थान की आसुरी शक्तिया जाग्रत हो जाती है एवं निवासी को जीवन में काफी परेशानी होती है.

Vastu and External Relationships

वास्तु और बाहरी संबंध: आपका घर आपके रिश्तों को कैसे प्रभावित करता है?”

आपके घर का वास्तु आपके जीवन के बाहरी सम्बन्धो को भी बहुत प्रभावित करता है. किसी का घर देख कर यह आसानी से बताया जा सकता है की उसके रिश्ते समाज में कैसे है. जब हम रिश्तो की बात करते है तो सबसे पहले दक्षिण पश्चिम दिशा देखना अनिवार्य है. इस दिशा में शौचालय, रसोई,सेप्टिक आदि इस दिशा में दोष उत्पन्न करते है और रिश्तो को नुक्सान पहुँचाते है.

१. दक्षिण पश्चिम में दोष होने से निवासी को पितरो की कृपा प्राप्त नहीं हो पाती है. अमूमन उसके सभी रिश्ते उसको किसी न किसी रूप में नुक्सान देते है.

२. अगर आपके आपकी बहिन, बुआ, साली आदि से रिश्ते अच्छे है और वह अपने जीवन में खुश है तो आपके निवास की उत्तर दिशा दोष मुक्त है.

३. सरकार सम्बन्धी समस्या, पिता एवं पिता तुल्य लोग, आपका अधिकारी वर्ग इन सभी का सम्बन्ध आपके घर की पूर्व दिशा से होता है. आपके अगर इन सब से सम्बन्ध अच्छे है तो आपकी पूर्व दिशा दोष मुक्त है.

४. आपको अपने जीवन में नौकर चाकर का सुख है, आपके कर्मचारी लम्बे समय तक आपके साथ काम करते है और जीवन में आप धर्म के कार्य करते रहते है तो आपके घर की पश्चिम दिशा का वास्तु अच्छा है.

५. आपका समाज में नाम अच्छा है. अपने समर्थ के हिसाब से आप अच्छा धन कमा रहे है. आपके बहुत सारे मित्र है एवं आपको भाइयो से अच्छा सुख है और वह भी अपना जीवन अच्छे से जी रहे है इन सबका अर्थ है की आपके निवास की दक्षिण दिशा वास्तु अनुकूल है.

६. जीवन में अर्धांगिनी का सुख घर की दक्षिण पूर्व दिशा से देखा जाता है. इस दिशा के अनुकूल होने से घर की स्त्री का स्वस्थ्य उत्तम रहता है. घर में विलासिता भी इसी दिशा से देखी जाती है. इस दिशा की प्रधानता वाले लोग मुख्यतः आकर्षक होते है.

हर दिशा के साथ घर की दक्षिण पश्चिम एवं उत्तर पूर्व दिशा को भी देखना अनिवार्य है क्यूंकि यह दिशा रिड की हड्डी जितनी महवत्पूर्ण होती है. सिर्फ यह दो दिशा भी वास्तु अनुरूप होने से अन्य सभी दिशाए भी स्वतः अनुकूल होने लगती है.