Vastu and External Relationships

वास्तु और बाहरी संबंध: आपका घर आपके रिश्तों को कैसे प्रभावित करता है?”

आपके घर का वास्तु आपके जीवन के बाहरी सम्बन्धो को भी बहुत प्रभावित करता है. किसी का घर देख कर यह आसानी से बताया जा सकता है की उसके रिश्ते समाज में कैसे है. जब हम रिश्तो की बात करते है तो सबसे पहले दक्षिण पश्चिम दिशा देखना अनिवार्य है. इस दिशा में शौचालय, रसोई,सेप्टिक आदि इस दिशा में दोष उत्पन्न करते है और रिश्तो को नुक्सान पहुँचाते है.

१. दक्षिण पश्चिम में दोष होने से निवासी को पितरो की कृपा प्राप्त नहीं हो पाती है. अमूमन उसके सभी रिश्ते उसको किसी न किसी रूप में नुक्सान देते है.

२. अगर आपके आपकी बहिन, बुआ, साली आदि से रिश्ते अच्छे है और वह अपने जीवन में खुश है तो आपके निवास की उत्तर दिशा दोष मुक्त है.

३. सरकार सम्बन्धी समस्या, पिता एवं पिता तुल्य लोग, आपका अधिकारी वर्ग इन सभी का सम्बन्ध आपके घर की पूर्व दिशा से होता है. आपके अगर इन सब से सम्बन्ध अच्छे है तो आपकी पूर्व दिशा दोष मुक्त है.

४. आपको अपने जीवन में नौकर चाकर का सुख है, आपके कर्मचारी लम्बे समय तक आपके साथ काम करते है और जीवन में आप धर्म के कार्य करते रहते है तो आपके घर की पश्चिम दिशा का वास्तु अच्छा है.

५. आपका समाज में नाम अच्छा है. अपने समर्थ के हिसाब से आप अच्छा धन कमा रहे है. आपके बहुत सारे मित्र है एवं आपको भाइयो से अच्छा सुख है और वह भी अपना जीवन अच्छे से जी रहे है इन सबका अर्थ है की आपके निवास की दक्षिण दिशा वास्तु अनुकूल है.

६. जीवन में अर्धांगिनी का सुख घर की दक्षिण पूर्व दिशा से देखा जाता है. इस दिशा के अनुकूल होने से घर की स्त्री का स्वस्थ्य उत्तम रहता है. घर में विलासिता भी इसी दिशा से देखी जाती है. इस दिशा की प्रधानता वाले लोग मुख्यतः आकर्षक होते है.

हर दिशा के साथ घर की दक्षिण पश्चिम एवं उत्तर पूर्व दिशा को भी देखना अनिवार्य है क्यूंकि यह दिशा रिड की हड्डी जितनी महवत्पूर्ण होती है. सिर्फ यह दो दिशा भी वास्तु अनुरूप होने से अन्य सभी दिशाए भी स्वतः अनुकूल होने लगती है.