मुहूर्त का महत्व: शुभ समय में किए गए कार्य ही देते हैं श्रेष्ठ फल
मुहूर्त – किसी भी कार्य को करने की शुभ घडी. हर कार्य को करने का एक ऐसा समय होता है जिसमे अच्छे परिणाम ही प्राप्त होते है. अगर कोई शुभ कार्य भी अशुभ मुहूर्त में किया जाये तो पीड़ा प्राप्त हो सकती है या कार्य फलित नहीं होता. वास्तु में भी घर बनाने के समय को लेकर, उनके निश्चित मास और तिथि का वर्णन है. निवास वास्तु अनुरूप हो लेकिन अशुभ मुहूर्त में निर्माण या गृह प्रवेश करना उसकी शुभता में कमी लाता है.
१. पुष्य नक्षत्र, रोहिणी, श्रावण, एवं मृगशिरा एवं वार गुरुवार हो तो आप ग्रहारम्भ कर सकते है.
२. राहु देव के नक्षत्र शतभिषा, आद्रा हो और वार शुक्रवार हो तो उस दिन शिलान्यास करना शुभ रहता है, ऐसा करने से धन धन्य की प्राप्ति होती है.
३. पूर्वाफ़ाल्फ़ुनि, चित्र एवं हस्त नक्षत्र हो और उस दिन वार बुधवार हो तो आप घर की नीव रख सकते है वह सम्पन्नता दायक होती है.
४. जब भी गृह आरम्भ करे तब सूर्य देव, चंद्र देव एवं गुरु देव या तो अपनी उच्च की राशि में हो या बलवान हो. ऐसा होने से इन ग्रहो का बल मिलता है एवं आपके कार्य आसानी से सिद्ध हो जाते है.
५. गृह आरम्भ के समय की कुंडली में लग्न या तो स्थिर हो या द्विस्वभाव होना चाहिए. लग्न पे जितना अधिक शुभ ग्रहो की दृष्टि हो उतना वह घर शुभ फलदायी हो जाता है.
६. अनुराधा, मृगशिरा, रोहिणी, धनिष्ठा, एवं रेवती नक्षत्र में निवास का विधि विधान से किया गया वास्तु पूजन माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करता है. ७. पूर्वभाद्रपत, उत्तराभाद्रपत, एवं स्वाति नक्षत्र में यदि शनिवार हो तो उस दिन गृह प्रारम्भ करने से उस स्थान की आसुरी शक्तिया जाग्रत हो जाती है एवं निवासी को जीवन में काफी परेशानी होती है.
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