Vastu For Directions And Health: आपके स्वास्थ्य पर पाँच तत्त्वों का प्रभाव (Impact of Five Elements on Your Health)
आपके शरीर के पंचतत्व (Five Elements) में से कोई भी तत्त्व अगर असन्तुलित हो जाता है तो हमारे शरीर बीमार पड़ने लगता है | हर एक तत्त्व का सम्बन्ध हमारे शरीर के त्रिगुणो से है – वात, पित्त और कफ. अब आपको जानकर हैरानी भी हो सकती है की आपके घर में भी पांच तत्त्व मौजूद रहते है | आपके निवास के तत्त्व आपके शरीर के तत्त्व को प्रभावित करते है और आपके जैसे तत्त्व होते है वैसा ही आप निवास का चयन करते है | (You Choose home as per your elements)
आज हम जानते है की किस दिशा में दोष (Disha Dosh) होने से आपको कौन सा रोग होने की सम्भावनाये हो सकती है |(Which direction causes what disease ?) हर एक दिशा में किसी एक तत्त्व की प्रधानता होती है जैसे की उत्तर दिशा में जल तत्त्व (North direction is Water Element) एवं दक्षिण में अग्नि तत्त्व (South Direction is Fire Element). जब भी किसी दिशा में कोई ऐसा कार्य या ऐसा निर्माण हो जाये जो उस दिशा तत्त्व से मेल नहीं खाता हो तो उस दिशा में दोष उत्पन्न हो जाता है |
उत्तर पूर्व दिशा (North East Direction in Vastu) में वास्तु पुरुष का सर का हिस्सा आता है. इस दिशा में कोई भी दोष निर्मित होने पर उस निवास में रहने वाले व्यक्ति को न्यूरो (Neurological Diseases) से सम्बंधित परेशानी, सर्वाइकल (Cervical) की परेशानी, मानसिक विकार(Mental Illness) एवं माइग्रेन (Migraine) जैसी समस्या हो सकती है. मस्तिष्क्य (Brain gives direction to all body parts) सबसे अहम् होता है हमारे शरीर का क्यूंकि यही से बाकि सभी अंगो को सञ्चालन का सन्देश प्राप्त होता है |
पूर्व दिशा (East Direction is Air Element) वायु तत्त्व की प्रधानता वाली दिशा है | यह दिशा हमेशा पश्चिम दिशा से भारी एवं नीची या समतल होना चाहिए (East should be down and lower than West). यहाँ कोई भी दोष होने पर हड्डियों में दर्द (Bone Pain) की समस्या, ब्लड प्रेशर (High BP / Low BP)का लो या हाई होना जैसी समस्या होती है. इस दिशा के असंतुलन से आत्मबल (Low Confidence) की भी कमी हो जाती है और उसके कारन कभी व्यक्ति डिप्रेशन (Depression) जैसी बीमारी में भी आ जाता है |
दक्षिण पूर्व दिशा (South East is Fire Element) जिसे अग्नि कोने के नाम से भी जाना जाता है, जैसा की नाम से ही समझ आता है की वह अग्नि तत्त्व की दिशा है. इसका ज्यादा प्रभाव सबसे पहले गृहलक्ष्मि (South East Effects females of home) को होता है. यहाँ असंतुलन होने से डॉयबिटीज़ (Diabetes), हार्मोनल प्रोब्लेम्स (Hormonal Imbalances) आदि होती है | पुरुषो में मूत्र रोग (Urinary Disease) या प्रोस्टेट (Enlarged Prostate) जैसी समस्या अग्नि तत्त्व के असंतुलित होने से होती है |
दक्षिण दिशा (South Direction is Fire Element) भी अग्नि तत्त्व की दिशा है. यह साहस और पराक्रम की दिशा है | यहाँ असंतुलन होने से व्यक्ति निर्बल एवं आलसी हो जाता है | शरीर में पित्त का बढ़ जाना एवं एसिडिटी होना भी इसी दिशा का असंतुलन है | दक्षिण दिशा में दोष होने पर इंसान को बहुत ज्यादा गुस्सा या चिड़चिड़ापन आने लगता है (South direction imbalance gives acidity, indigestion, Anger issues)
दक्षिण पश्चिम दिशा पृथ्वी तत्त्व की दिशा है (South West is Earth Element), यहाँ पर सभी प्रकार का शारीरिक निर्माण होता है (Direction of Creation). अगर इस दिशा में किसी भी प्रकार का दोष है तो शरीर में बहुत ज्यादा कष्ट रहते है | हड्डियों का डिजनरेशन इसी दिशा में दोष होने से ठीक नहीं हो पाता. इसी दिशा के दोष से शारीरिक कमजोरी, अत्यधिक मोटापा, कमर दर्द आदि का रोग होता है | मांसपेशियो का निर्माण भी इसी दिशा से होता है ( South West Imbalance gives muscle weakness, bone weakness, bones degeneration, Obesity, Back Pain)
इसी क्रम में अंतिम तत्त्व है आकाश (Space Element) जिसे इंगलिश में स्पेस एलिमेंट भी कहते है | इस तत्त्व का कार्य मुख्यतः हड्डियों की कमजोरी देना होता है | पेट की एक समस्या कोलाइटिस भी इसी दोष से होती है. शरीर में ज्यादा लम्बी चलने वाली बीमारी भी इसी तत्त्व के असंतुलन के कारन होती है ( Space elements also weakens Bones and gives Colitis)